Saturday, November 30, 2019
Tuesday, November 19, 2019
IT Tools and Business Systems imporatant Topic (‘O’ level)
IT tools and business systems notes in Hindi (‘o’ level)
IT Tools and Business Systems notes (‘O’ level)
Wednesday, November 6, 2019

C Languages Tutorials in Hindi
C Languages Tutorials in Hindi
By-My Guide
C language एक general-purpose programming language है जिसे सन् 1972 में
Dennis Ritchie के द्वारा Bell Labs. में develop किया गया था| UNIX operating system को develop करने के लिए C Programming Language को बनाया गया|
Dennis Ritchie के द्वारा Bell Labs. में develop किया गया था| UNIX operating system को develop करने के लिए C Programming Language को बनाया गया|
C programming language को System application create करने के लिए develop किया गया था जो की directly Hardware devices जैसे की Kernels, drivers etc. के साथ आसानी से interact कर सके|
इस programming language को सभी programming language का base (आधार) माना जाता है क्योंकि इसमें सारे syntax बहुत ही आसान होते हैं और सभी programming language को develop करने में C programming language का इस्तेमाल किया गया है, इसी वजह से इस programming लैंग्वेज को सबसे शुरू में सिखाया जाता है|
C programming language एक procedural और structured programming language होता है| Procedural का हिंदी meaning “प्रक्रियात्मक” होता है मतलब की एक way में या एक प्रक्रिया के अनुसार|Procedural Language क्या होता है?
Procedural language एक प्रकार का computer programming language होता है जो की एक program को लिखने के लिए well-structured steps का series specify करता है|
दुसरे शब्दों में कहें तो यह एक प्रकार का computer programming language होता है जो की एक ऐसा process / procedure (प्रक्रिया) provide करता है जिससे किसी भी program को अच्छे तरीके से लिखा जा सके| अच्छे से लिखे जाने को ही well structured steps कहा जाता है और इसी वजह से इसे Structured programming language भी कहा जाता है|
Features of C Language – C Programming Language के गुणC प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के ढेर सारे गुण मौजूद हैं जिसमें से हम कुछ गुण को यहाँ पर mention कर रहे हैं|
- Easy to learn : C programming language के syntax बहुत ही आसान है और बहुत ही साफ साफ syntax होते हैं जिससे इस language को सीखना बहुत ही आसान हो जाता है जैसे एक छोटे से बच्चे को alphabets (A – Z) one by one करके सिखाया जाता है ताकि वो आगे चलके एक string या word बना सके ठीक उसी प्रकार इस programming language में भी हर छोटे से छोटे और आसान words का उपयोग किया गया है जिससे नए लोगो को सिखने में आसानी हो|
- यह एक robust (मजबूत) language है क्योंकि इसमें बहुत सारे in-built function और operators होते हैं जो की किसी भी बड़े से बड़े (complex) program को लिखने में आसान सा तरीका provide करते हैं|
- यह एक portable language है मतलब की इस programming language में लिखे गए कोड को आप आसानी से किसी दुसरे मशीन में भी बिना किसी changement के run करा सकते हैं|
- इस language के सबसे main features extending features है मतलब की यह programming language का इस्तेमाल करके आगे बहुत सारे programming language बनाये जा चुके हैं|
- एक C program बहुत सारे functions के collection से बने होते हैं जो की C library के द्वारा supported होते हैं| इसमें आप खुद का भी library बना सकते हैं यानि की user define library भी create कर सकते हैं|
- C प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सबसे ज्यादा उपयोग होने वाला प्रोग्रामिंग लैंग्वेज हैं | Operating system को develop करने के लिए generally C language का ही उपयोग किया जाता है|

C language के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य – Important facts of C
- C language का आविष्कार UNIX operating system को develop करने के लिए हुआ था|
- यह language आज सबसे ज्यादा popular programming language है|
- यह language B language का successor है|
- जितने भी software बनते हैं उनमे C लैंग्वेज का concept इस्तेमाल होता है|
- UNIX operating system totally C programming language में लिखा गया है|
- लगभग सभी programming language को develop करने के लिए C language का सहारा लिया गया है मतलब की सभी programming language C programming language के syntax को inherit किये हैं|
- Linux OS और RDBMS MYSQL C language में लिखे गए हैं|
- C low level language और high level language दोनों के ही features को include करता है इसलिए इसे Middle Level Language कहा जाता है|
History of C language – C language का इतिहास
C programming language को सन् 1972 में AT & T Bell Laboratory में Dennis Ritchie के द्वारा UNIX Operating system को design करने के लिए develop किया गया था| यह Bell Laboratory U.S.A. में स्थित है|

यह programming language को B, BCPL जैसे प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में होने वाले प्रॉब्लम को दूर करने के लिए develop किया गया|
चलिए हमलोग programming language के development year के list को देखते हैं| जो की C language से पहले develop किया गया था और C language के बाद कुछ developed language के lists:
Language | Year | Developed By |
---|---|---|
Algol | 1960 | International Group |
BCPL | 1967 | Martin Richard |
B | 1970 | Ken Thompson |
Traditional C | 1972 | Dennis Ritchie |
K & R C | 1978 | Kernighan & Dennis Ritchie |
ANSI C | 1989 | ANSI Committee |
ANSI / ISO C | 1990 | ISO Committee |
C99 | 1999 | Standardization Committee |
Conclusion and Final Words
C language सबसे basic language है| अगर आप computer के programming field में enter करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको C language सीखना पड़ेगा| अगर आप बिना C language को सीखे दुसरे प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को सीखते हैं तो वो थोडा सा आपके लिए मुश्किल हो सकता है क्योंकि जिस प्रकार एक बच्चा alphabets के एक एक character को सीखे बिना words नहीं बना सकता उसी प्रकार आप बिना C Language को सीखे आगे की programming लैंग्वेज अच्छे तरीके से नहीं सिख सकते हैं|
अब बात आती है की कुछ लोग कहते हैं की तुम बिना C language को सीखे दुसरे लैंग्वेज को सिख सकते हो तो आप खुद ही इस बात से अंदाजा लगा सकते हो की जिस प्रकार एक uneducated person कुछ बोल सकता है यानि की बिना पढ़े वो भी बोल सकता है और जो पढ़ा हुआ इन्सान है वो भी बोल सकता है बस दोनों में फर्क इतना ही है की एक इन्सान हरेक situation के हिसाब से अलग अलग तरीका में बोल सकता है जबकि अनपढ़ इन्सान एक ही तरीका से हमेशा बात कर सकता है|
मुझे उम्मीद है की यह पोस्ट आपको काफी पसंद आया होगा| इस पोस्ट को हर उस इन्सान तक पहुंचाएं जो programming language सीखना चाहता है या जो programming language सिख रहा है| My Guide blog पर आने के लिए धन्यवाद|
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Saturday, September 14, 2019

फाइल और फोल्डर में अंतर (Difference between File and Folder)
कंप्यूटर में कई हजारों फाइलें होती हैं उन्हें संभल कर रखना और व्यवस्थित करना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं हैं, क्योंकि जब आपको किसी विशेष फ़ाइल की आवश्यकता होती है तो आपको उस फाइल को निकालना असंभव होता है। तो, यही कारण है कि हम फाइल को एक फाइलिंग कैबिनेट के अंदर फ़ोल्डर्स में स्टोर करके रखते हैं। ताकि किसी फ़ाइल को आसानी से खोजा जा सके| कंप्यूटर में, फ़ाइल और फ़ोल्डर की अवधारणा बिल्कुल समान कार्य करती है।

इस पोस्ट में आप जानेंगे-
- फाइल और फोल्डर का तुलना चार्ट
- फाइल और फोल्डर की परिभाषा
- फाइल और फोल्डर में मुख्य अंतर
- निष्कर्ष
फाइल और फोल्डर का तुलना चार्ट
अंतर का आधार | फाइल | फोल्डर |
बेसिक | डाटा का कलेक्शन | संबंधित फ़ाइलों और फ़ोल्डरों के एक समूह को स्टोर करने के लिए एक जगह |
एक्सटेंशन | फाइलों का एक्सटेंशन होता हैं। | फ़ोल्डर का कोई एक्सटेंशन नहीं होता है। |
आकार | किसी फ़ाइल का एक विशिष्ट आकार होता है। | फोल्डर मेमोरी में कोई आकार नहीं लेता हैं| |
संगठन | Serial, sequential, indexed sequential and direct file organizations. | single directory और Multiple Directoy |
फ़ाइल की परिभाषा (Definition of File)
जब हम डेटा को कंप्यूटर सिस्टम में स्टोर करते हैं, तो ओएस फाइल के रूप में जानी जाने वाली एक इकाई प्रदान करता है। फ़ाइल को संबंधित डेटा या जानकारी के एक सेट के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसे सेकेंडरी स्टोरेज मीडिया में स्टोर किया जा सकता है। कंप्यूटर में स्टोर डाटा के अनुसार कई प्रकार की फ़ाइल मौजूद है और उनका फ़ाइल एक्सटेंशन भी अलग अलग होता है।
उदाहरण के लिए, फ़ाइल एक डाटा फ़ाइल या एक प्रोग्राम फ़ाइल हो सकती है जहां डेटा फ़ाइल में संख्यात्मक, अल्फ़ान्यूमेरिक या बाइनरी नंबर के रूप में डेटा और जानकारी हो सकती है। उसी तरह, प्रोग्राम कोड वाली फ़ाइल जिसे एक्सीक्यूट किया जा सकता है, वह प्रोग्राम फ़ाइल कहलाती है।
फ़ाइल के गुण (Properties of a File)
नाम (name):
फ़ाइल नाम का उपयोग फ़ाइलों को एक दूसरे से अलग करने के लिए किया जाता है। हम फाइल नाम का उपयोग करके उन्हें एक्सेस कर सकते हैं, हालाँकि विभिन्न ऑपरेटिंग सिस्टम में फ़ाइल के नामकरण के लिए अलग अलग नियम होते हैं।
एक्सटेंशन (extension):
फाइल का प्रकार चाहे वह टेक्स्ट, डॉक्यूमेंट, इमेज, वीडियो, ऑडियो या कोई अन्य प्रकार हो, फाइल के प्रकार को निर्दिष्ट (Specify) करने के लिए एक एक्सटेंशन का उपयोग किया जाता है।
दिनांक और समय (Date and Time):
फ़ाइल द्वारा अपने डेटा के साथ स्टोर अतिरिक्त जानकारी इसके निर्माण या परिवर्तन की तारीख और समय है।
लंबाई (Length):
फ़ाइल की लंबाई कुल बाइट कंटेंट के संदर्भ में व्यक्त की जाती है, जिसे फ़ाइल द्वारा स्टोर भी किया जाता है।
सुरक्षा गुण (Protection attributes):
यूजर को किस प्रकार की फ़ाइल एक्सेस दी जाती है, इसकी पहचान करने के लिए, फ़ाइल सुरक्षा विशेषताओं का उपयोग केवल पढ़ने के लिए किया जाता है, जैसे read-only, archive, hiddenआदि।
Operations performed over a file
किसी फ़ाइल पर कई ऑपरेशन संभव हैं, उनमें से कुछ नीचे सूचीबद्ध हैं:
Read: यह ऑपरेशन फ़ाइल में स्टोर जानकारी को पढ़ता है।
Write: हम मौजूदा फ़ाइल में कुछ नए डेटा या जानकारी जोड़ने के लिए इस ऑपरेशन का उपयोग करते हैं।
Rename: फ़ाइल का नाम बदलने के लिए, हम Rename ऑपरेशन का उपयोग करते हैं।
Copy: कॉपी ऑपरेशन, मूल फ़ाइल को एक साथ फाइल का डुप्लिकेट बनाता है।
Sort: यह ऑपरेशन कुछ विशिष्ट क्रम में फ़ाइल की कंटेंट की व्यवस्था करता है।
Move: यह फाइल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाता है।
Delete: यह फ़ाइल को डिलीट करता है।
Modify: इस ऑपरेशन का उपयोग किसी फ़ाइल की कंटेंट को बदलने के लिए किया जाता है।
डेटा फ़ाइलों की केटेगरी (Categories of data files)
डेटा फ़ाइलों को मुख्य रूप से उस तरीके के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है जिसमें एप्लिकेशन प्रोग्राम उनका उपयोग करता है। डेटा फ़ाइल की केटेगरी ट्रांजिकशन फाइलें, मास्टर फाइलें, आउटपुट फाइलें, रिपोर्ट फाइलें और बैकअप फाइलें हैं।
फ़ाइल संगठन (File organization)
किसी फ़ाइल का दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह कैसे व्यवस्थित हैं। फ़ाइल संगठन (File Organization) फ़ाइल में डेटा रिकॉर्ड के फिजिकल संगठन (Organization) को संभालता है। संगठन (Organization) डेटा पुनर्प्राप्ति और स्टोरेज की प्रकृति पर अत्यधिक निर्भर करता है। फ़ाइल संगठन (File Organization) के सामान्य तरीके नीचे दिखाए गए हैं:
सीरियल फ़ाइल संगठन (Serial file organization):
यह रिकॉर्ड्स को क्रमिक (Serial) रूप से एक के बाद एक स्टोर करता है, इसमें किसी निश्चित लॉजिकल अनुक्रम का उपयोग नहीं किया जाता है। हालाँकि, ये रिकॉर्ड बनाए जाने के आधार पर कालानुक्रमिक क्रम (chronological order) में व्यवस्थित होते हैं।
अनुक्रमिक फ़ाइल संगठन (Sequential file organization):
इस संगठन (Organization) में, रिकॉर्ड दिए गए फ़ील्ड के विषय में कुछ निश्चित क्रम में स्टोर किए जाते हैं। यह फ़ील्ड, key field या फ़ाइल का Non-key field हो सकता है।
अनुक्रमणिका फ़ाइल अनुक्रमिक संगठन (Index file sequential organization):
इस प्रकार के संगठन (Organization) में रिकॉर्ड को फ़ाइल में Search key के अनुसार फिजिकल रूप से व्यवस्थित किया जाता है। इसके अतिरिक्त, यह फ़ाइल के प्राइमरी इंडेक्स को भी बनाए रखता है।
डायरेक्ट या रैंडम फाइल ऑर्गनाइजेशन (Direct or random file organization):
यह फाइल के रिकॉर्ड को एक्सेस करने के लिए डायरेक्ट तरीके से फाइल की Search key पर खास प्रोसेस की मदद से एक्सेस करता है। यह रिकॉर्ड का स्थान तेजी से सर्च करता है।
फोल्डर की परिभाषा (Definition of Folder)
फ़ोल्डर का उपयोग अन्य फ़ोल्डरों और फ़ाइलों के समूह को एनकैप्सुलेट करने और उन्हें एक ही हेडिंग के तहत वर्गीकृत करने के लिए किया जाता है। यूजर जितने चाहे उतने फ़ोल्डर बना सकता है, और प्रत्येक फ़ोल्डर में बनाई गई फ़ाइलों की संख्या के अनुसार कई एंट्री हो सकती हैं, जहां प्रत्येक फ़ाइल एक डायरेक्टरी (यानी फ़ोल्डर) में एक स्थिति रखती है। इसी तरह, जब फ़ाइल, फ़ोल्डर से हटा दी जाती है, तो एंट्री फ़ोल्डर से स्वचालित रूप से हटा दी जाती है। फ़ोल्डर कुछ लॉजिकल अनुक्रम में फ़ाइलों को अलग से स्टोर करने की सुविधा देता है ताकि फ़ाइल को आसानी से खोजा जा सके|
फ़ोल्डर की संरचना (Structure of a folder)
सभी एडवांस्ड ऑपरेटिंग सिस्टम एक hierarchical या ट्री के समान फ़ोल्डर संरचना का उपयोग करते है। इस संरचना में, एक रूट फ़ोल्डर होता है जिसमें फ़ाइल और सबफ़ोल्डर्स शामिल होते हैं, उन सबफ़ोल्डर्स में फ़ाइलें और सबफ़ोल्डर हो सकते हैं।
उदाहरण में, C ड्राइव एक रूट फ़ोल्डर है जिसमें सबफ़ोल्डर्स का नाम Study_material और Entertainment है। सबफ़ोल्डर Study_material में फ़ाइलें, यानी, Sc_notes और Project शामिल हैं। इसी तरह, सबफ़ोल्डर एंटरटेनमेंट में Audio और Video नामक दो और सब फ़ोल्डर्स होते हैं, जिसमें Audio और Video फाइलें होती हैं।
फ़ाइल और फ़ोल्डर के बीच महत्वपूर्ण अंतर (Differences Between File and Folder)
- फ़ाइल कुछ विशिष्ट रूप में डेटा का एक संग्रह है, जबकि फ़ोल्डर एक ड्राइव का उपखंड (subdivision) है और वह स्थान जहां फ़ाइलों और अन्य फ़ोल्डरों को स्टोर किया जा सकता है।
- फ़ोल्डर का कोई एक्सटेंशन और इनबिल्ट आइकन नहीं होता है। इसके विपरीत, फ़ाइल का एक्सटेंशन और आइकन फ़ाइल के प्रकार और फ़ाइल एप्लिकेशन के अनुसार बदलता रहता हैं। हालाँकि, यूजर प्राथमिकता के अनुसार फ़ोल्डर आइकन को मैन्युअल रूप से भी बदला जा सकता है।
- फ़ाइल का आकार कई बाइट्स से लेकर गीगाबाइट्स तक हो सकता है या डेटा स्टोर की मात्रा के आधार पर इससे बड़ा हो सकता है। इसके विपरीत, एक फ़ोल्डर का कोई आकार नहीं होता है।
- फाइलों के विभिन्न प्रकार के संगठन (Organization) serial, sequential, indexed sequential and direct file organization हैं। दूसरी ओर, फ़ोल्डर में कोई संगठन (Organization) नहीं हैं; यह सिर्फ एक hierarchical approach का अनुसरण करता है।
- फ़ोल्डर कई फ़ाइलों और फ़ोल्डरों को समायोजित कर सकता है, लेकिन फ़ाइल में कभी भी फ़ाइल या फ़ोल्डर नहीं होते है।
निष्कर्ष (Conclusion)
फ़ाइल और फ़ोल्डर पूरी तरह से अलग-अलग शब्द हैं फ़ाइल में डेटा होता है, जबकि फ़ोल्डर एक इकाई है जो किसी ड्राइव का लॉजिकल विभाजन बनाता है और इसमें फ़ाइलें और फ़ोल्डर शामिल होते हैं।
Monday, September 9, 2019

MS Word की Home Tab का उपयोग करना
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By-My Guide
MS Word की Home Tab का उपयोग करना
MS Word में Text Edit करने के लिए Tools को कई जगह पर Set किया गया है. इन जगहो को Tabs कहते है. आप इन्हे Menu के नाम से भी जानते है. इस Lesson में हम आपको MS Word की Home Tab के बारे में बताएंगे.
MS Word की Home Tab को आप Keyboard से Alt+H दबाकर भी इसके टूल्स को Active कर सकते है. या आप इसे Mouse द्वारा भी इस्तेमाल कर सकते है. MS Word में By Default इसी Tab के Buttons ख़ुले रहते है.
MS Word की Home Tab को कई Group में बांटा गया है. प्रत्येक Group में एक कार्य विशेष से संबंधित Buttons/Commands होते है. आप इन Buttons को माऊस के द्वारा दबाकर इस्तेमाल कर सकते है. नीचे हम आपको बताएंगे कि Home Tab में कितने Group होते है? और प्रत्येक Group में उपलब्ध Tools का क्या कार्य है?
Home Tab के Groups के नाम और उनके कार्य
MS Word कि Home Tab में कुल 5 Group होते है. इन्हे आप ऊपर दिखाए गए Screen Shot में देख सकते है. इन Groups का नाम क्रमश: Clipboard, Font, Paragraph, Styles और Editing है. अब आप Home Tab के Groups से तो परिचित हो गए है. आइए अब प्रत्येक Group के कार्य को जानते है.
Clipboard
Clipboard एक अस्थाई Storage होती है. जिसमे आपके द्वारा Copy या Cut किया हुआ Data Save रहता है. जब तक आप इस Data को कही Paste नही करते है. तब तक वह Data Clipboard में ही रहता है. जब आपका System बंद हो जाता है, तो Clipboard में Save Data भी अपने आप Empty हो जाता है. इसलिए जब तक आपका System चालु रहता है. तब तक ही आप Clipboard में Save Data को Use कर सकते है.
Font
Font Group में उपलब्ध Commands के जरीए आप Text की Formatting करते है. इसमें आपको Font Family, Font Size, Font Style आदि को Change करने के लिए Commands दी होती है. इन Commands के जरीए आप किसी भी MS Word Document को अपने हिसाब से Format कर सकते है.
Paragraph
इस Group में Paragraph को Set करने से संबंधित Commands होती है. इनके द्वारा आप Paragraph का Indent, Lines के बीच की ऊँचाई (Space), Alignment आदि को Set कर सकते है. इसके अलावा आप List, Sorting, Text में Border, Shadings भी लगा सकते है.
Styles
इस Command के द्वारा Documents में Styles को लगाया जाता है. Styles Command में कुछ बनी बनाई Document Styles होती है. इनमें पहले से ही Font, Font Size, Font Color, Headings आदि Set होते है.
Editing
Edit Group में 3 Commands होती है. Find Command के द्वारा MS Word Document में उपलब्ध किसी शब्द/वाक्य विशेष को खोजा जाता है. Replace Command से आप MS Word Document में उपलब्ध किसी भी शब्द के स्थान पर कोई दूसरा शब्द लिख सकते है. आपको सिर्फ एक ही बार शब्द बदलना पडता है, और उस शब्द की जगह पर दूसरा शब्द लिख जाता है. और Select Command के द्वार Document में उपलब्ध Text को एक साथ Select किया जा सकता है.
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Thursday, July 25, 2019

एक्सेल फार्मूला हिंदी में
Excel Formulas जिनके बारें में आपको पता होना चाहिए
By
My Guide
Excel Formulas Hindi.

यह आपको एक ही पल में कॉलम के टोटल या एवरेज नंबर्स के लिए मदद करता हैं। इसके साथ ही आप कंपाउंड इंटरेस्ट और वेटेड एवरेज को गिन सकते हैं, आपके एडवरटाइजिंग कैंपेन के लिए सर्वोत्कृष्ट बजेट प्राप्त कर सकते हैं, शिपमेंट लागत को कम कर सकते हैं या अपने एम्प्लॉइज के लिए वर्क का शेड्यूल तैयार कर सकते हैं।
यह सब काम करने के लिए आपको सेल में फ़ॉर्मूले एंटर करना होगा।
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मायक्रोसॉफ्ट एक्सेल में यह सब चीजें मैन्युअली करने में और अधिक समय बर्बाद न करें। एक्सेल फ़ार्मुले का उपयोग करने के कई तरीके हैं, ताकि आप Excel में खर्च किए जाने वाले समय की मात्रा कम कर सकें और अपने डेटा और रिपोर्ट की एक्यूरेसी बढ़ा सकें।
इस ट्यूटोरियल का उद्देश्य आपको Excel फ़ंक्शंस के अनिवार्यताओं को सिखाना और Excel में बेसिक फ़ार्मुलों का उपयोग करना सीखाना है।
एक्सेल फार्मूला हिंदी में:
1) SUM:
पहला एक्सेल फ़ंक्शन जिससे आप परिचित होने चाहिए, वह है SUM जो addition के बेसिक अरिथमेटिक ऑपरेशन करता हैं।
Syntax Of SUM Function:
SUM फ़ंक्शन का syntax इस प्रकार है:
SUM(number1, [number2] ,…)

SUM फ़ंक्शन में पहला argument आवश्यक है, अन्य नंबर ऑप्शनल हैं, और आप एक फार्मूला में 255 नंबर दे कर सकते हैं।
मतलब, आपके SUM फार्मूला में कम से कम 1 नंबर, सेल या सेल रेंज का रेफरंस शामिल होना चाहिए।
Example of SUM Function in Hindi:
उदाहरण के लिए:
=SUM(A1:A5) – यह सेल A1 से A5 तक के सेल्स की वैल्यू को एड करता हैं।
=SUM(A2, A5) – यह सेल A2 और A5 सेल्स की वैल्यू को एड करता हैं।
=SUM(A2:A5)/5 – यह सेल A1 से A5 तक के सेल्स की वैल्यू को एड करता हैं और इस sum को 5 से डिवाइड करता हैं।
आपके Excel वर्कशीट में, यह फार्मूला कुछ इस तरह से दिखाई दे सकते हैं:

टिप – किसी कॉलम या रो के sum करने का सबसे फास्ट तरीका हैं कि इन सेल्स के अगले सेल्स को सिलेक्ट करें और Home टैब के AutoSum बटन पर क्लिक करें।
2) AVERAGE:
एक्सेल का AVERAGE फ़ंक्शन, नंबर्स का औसत (arithmetic mean) खोजता है।
Syntax Of AVERAGE Function:
AVERAGE फ़ंक्शन का syntax इस प्रकार है:
AVERAGE(number1, [number2], …)

यहां पर number1, [number2], आदि एक या एक से अधिक नंबर (या नंबर्स वाले सेल्स के रेफरेन्सेस) है, जिनकी औसत कैल्यूलेशन आप करना चाहते हैं।
Example of AVERAGE Function in Hindi:
उदाहरण के लिए:
=AVERAGE(A1:A5)

3) MAX & MIN:
Excel में MAX और MIN फार्मूला क्रमशः, नंबर्स के सेट की सबसे बड़ी और सबसे छोटी वैल्यू होती हैं।
Example of MAX & MIN Function in Hindi:
उदाहरण के लिए:
=MAX(A2:A5)
=MIN(A2:A5)

4) COUNT & COUNTA:
यदि आप यह जानना चाहते हैं कि सेल्स रेंज में कितने सेल्स में न्यूमेरिक वैल्यू (numbers or dates) हैं, तो इन्हे मैन्यूअली गिनने में अपना समय व्यर्थ न करें। एक्सेल का COUNT फ़ंक्शन एक ही सेकंड में गिनेगा।
Syntax Of COUNT Function:
COUNT फ़ंक्शन का syntax इस प्रकार है:
COUNT(value1, [value2], …)
जबकि COUNT फ़ंक्शन केवल उन सेल्स को काउंट करता है जिसमें नंबर्स होते हैं, लेकिन Excel का COUNTA फ़ंक्शन उन सभी सेल्स को काउंट करता है जो ब्लैंक नहीं हैं, चाहे वे numbers, dates, times, text, logical values of TRUE और FALSE की लॉजिकल वैल्यू , errors या empty text strings (“”) हो सकते हैं।
Syntax Of COUNTA Function:
COUNTA फ़ंक्शन का syntax इस प्रकार है:
COUNTA (value1, [value2], …)
Example of COUNT & COUNTA Function in Hindi:
उदाहरण के लिए, कॉलम A में कितने नंबर्स शामिल हैं इसका पता लगाने के लिए, इस फार्मूला का उपयोग करें:
=COUNT(A:A)
कॉलम A में सभी non-empty सेल्स को काउंट करने के लिए, इस फार्मूला का उपयोग करें:
=COUNTA(A:A)

दोनों फ़ार्मुलों में, आप पूरे A कॉलम के सेल्स को रेफर कर रहे हैं।
5) IF:
जब आप एक्सेल में IF formula का यूज करते हैं, तब आप एक्सेल को कुछ कंडिशन्स को टेस्ट करने के लिए कहते हैं और जब यह कंडिशन पूरी होती है तो एक्सेल वैल्यू देता हैं या कैल्युकेशन करता हैं और यदि यह कंडिशन पूरी नहीं होती तो एक्सेल दूसरी वैल्यू या अन्य कैल्युकेशन करता हैं।
Syntax Of IF Function:
IF फ़ंक्शन का syntax इस प्रकार है:
IF(logical_test, [value_if_true], [value_if_false])
आसान भाषा में –
IF(कुछ सच है, तो कुछ करो, अन्यथा कुछ और करें)
अतः एक IF स्टेटमेंट के दो रिजल्ट हो सकते हैं। अगर आपकी तुलना सही है तो पहला रिजल्ट, नहीं तो दूसरा रिजल्ट।
Example of IF Function in Hindi:
उदाहरण के लिए, यदि स्टूडेंट्स को 35 से उपर मार्क हैं तो वह PASS हैं और यदि उसे 35 से कम मार्क हैं तो वह FAIL हैं।
=IF(A2>=35, “PASS”, “FAIL”)

6) TRIM:
एक्सेल का TRIM फ़ंक्शन वर्ड्स से अतिरिक्त स्पेस को निकालता है और टेक्स्ट के स्टार्ट या एंड में एक भी स्पेस कैरेक्टर नहीं रखता।
एक्सेल में अनचाहे स्पेस को हटाने के कई तरीके हैं, जिसमें TRIM फ़ंक्शन सबसे आसान तरीका है:
Syntax Of TRIM Function:
TRIM फ़ंक्शन का syntax इस प्रकार है:
TRIM(text)
Example of TRIM Function in Hindi:
उदाहरण के लिए, A कॉलम स्तंभ के सभी अतिरिक्त स्पेस निकालने के लिए, सेल A1 में निम्न फार्मूला एंटर करें, और फिर इसे कॉलम के नीचे कॉपी करें:
= TRIM (A1)

यह सेल्स में सभी अतिरिक्त रिक्त स्पेस को निकाल कर सिर्फ एक ही स्पेस कैरेक्टर को वर्ड्स के बिच रखेगा।
7) LEN:
जब भी आप किसी सेल में कितने कैरेक्टर्स हैं यह जानना चाहते हैं, तो LEN उपयोग करें।
Syntax Of LEN Function:
LEN फ़ंक्शन का syntax इस प्रकार है:
=LEN (text)
Example of LEN Function in Hindi:
A2 सेल में कितने कैरेक्टर हैं यह जानने के लिए –
=LEN(A2)

कृपया ध्यान रखें कि एक्सेल का LEN फ़ंक्शन स्पेस के साथ सभी कैरेक्टर को काउंट करता हैं।
8) AND & OR:
कई मापदंडों को जांचने के लिए ये दो सबसे लोकप्रिय लॉजिकल फंक्शन हैं।
AND Function:
यह तब काम में आता है जब आपको कई कंडीशंस को टेस्ट करना पड़ता है और यह सुनिश्चित करना है कि वे सभी TRUE होते हैं।
टेक्निकली AND फ़ंक्शन आपके द्वारा स्पेसिफाइ की गई कंडीशंस को टेस्ट करता है और यदि सभी कंडीशंस TRUE होती हैं तो यह TRUE रिटर्न देता हैं नहीं तो FALSE रिटर्न देता हैं।
Syntax Of AND Function:
AND फ़ंक्शन का syntax इस प्रकार है:
=AND (logical1, [logical2], …)
Example of AND Function in Hindi:
उदाहरण के लिए, स्टूडेंट्स को Math और English दोनों में 35 के उपर मार्क हैं तो वे PASS हैं, अन्यथा FAIL हैं।
=IF(AND(B2>35,C2>35), “PASS”, “FAIL”)

OR Function:
AND एक्सेल या फ़ंक्शन की तरह ही एक OR एक लॉजिकल फ़ंक्शन है जिसका उपयोग दो वैल्यू या स्टेटमेंट की तुलना करने के लिए किया जाता है।
सिर्फ अंतर यह है कि OR फ़ंक्शन, दिए गए सभी कंडिशन्स में से एक भी कंडिशन TRUE होती हैं तो TRUE रिटर्न करता हैं और सभी कंडिशन गलत होने पर FALSE रिटर्न करता हैं।
Syntax Of OR Function:
OR फ़ंक्शन का syntax इस प्रकार है:
=OR (logical1, [logical2], …)
Example of OR Function in Hindi:
उदाहरण के लिए, स्टूडेंट्स को Math और English दोनों में से किसी एक भी सब्जेक्ट में 35 के उपर मार्क हैं तो वे PASS हैं, अन्यथा FAIL हैं।
=IF(OR(B2>35,C2>35), “PASS”, “FAIL”)

9) CONCATENATE:
एक्सेल का CONCATENATE फ़ंक्शन दो या अधिक टेक्स्ट आइटम को जॉइन करता हैं। यह दो या दो से अधिक सेल्स की वैल्यू को एक ही सेल में कंबाइन करता हैं।
Syntax Of CONCATENATE Function:
CONCATENATE फ़ंक्शन का syntax इस प्रकार है:
CONCATENATE(text1, [text2], …)
Example of CONCATENATE Function in Hindi:
उदाहरण के लिए, A2 and B2 सेल की वैल्यू को कंबाइन करने के लिए, बस एक अलग सेल में निम्न फॉर्मूला एंटर करें:
=CONCATENATE(A2, B2)

यदि आपको इन कंबाइन किए गए वैल्यू को अलग करना हैं, मतलब इनमें एक स्पेस एड करनी हैं, तो आर्ग्यूमेंट्स लिस्ट में (” “) स्पेस कैरेक्टर टाइप करें।
=CONCATENATE(A2, ” “, B2)
